चंद दिनों में तैयार किया जगह बदलने वाला कोविड हास्पिटल

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रुड़की। सीबीआरआई रुड़की ने मंडी (हिमाचल प्रदेश) में चंद दिनों में ही 108 बेड का कोविड हॉस्पिटल तैयार कर दिया है। एक सप्ताह में चिकित्सकीय उपकरणों की फिटिंग के बाद इसका उद्घाटन तीन जून को हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करेंगे। इसके बाद मरीजों के भर्ती करने की प्रक्रिया शुरू होगी। खास बात यह है कि यह पूरा हॉस्पिटल फोल्डेबल है और इसे कहीं भी तैयार कर शिफ्ट किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने काम के अनुरूप ही इसका नाम कोविड-19 मेकशिफ्ट हॉस्पिटल दिया है। इससे पहले संस्थान के वैैैज्ञानिक देश में अलग-अलग 12 जगहों पर हॉस्पिटल स्थापित करा चुके हैं।
केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की के वैज्ञानिकों ने कोरोना काल में लाइफ लाइन बने मेकशिफ्ट हॉस्पिटल की तकनीक को धरातल पर उतारा है। संस्थान के निदेशक डॉ. एन गोपाल कृष्णन के निर्देशन में वैैैज्ञानिक डॉ. अजय चौरसिया, एसके नेगी और डॉ. सुवीर सिंह ने कम समय में हॉस्पिटल का ढांचा तैयार करने और इसे फोल्ड करने के बाद कहीं भी आसानी से शिफ्ट किए जाने की तकनीक विकसित की है। डॉ. चौरसिया ने बताया कि इस समय मंडी (हिमाचल प्रदेश) में कोविड हॉस्पिटल स्थापित किया जा रहा है, जिसे महज पांच से छह दिनों में बनाकर तैयार कर दिया गया है। अब इसमें उपकरणों के लिए फीटिंग आदि का काम चल रहा है। इसका उद्घाटन तीन जून को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करेंगे। इसके बाद यहां मरीजों को भर्ती करने का काम शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि तकनीक के तहत हॉस्पिटल के ढांचे में कम वजन की स्टील का प्रयोग किया गया है। पूरा ढांचा फोल्ड हो जाता है, जिससे इसे कहीं भी शिफ्ट किया जा सकता है। इस तकनीक से एलएचएमसी दिल्ली में 240 बेड का हॉस्पिटल पर काम चल रहा है।
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180 किमी रफ्तार के चक्रवाती तूफान में भी खड़ा रहेगा हॉस्पिटल
कोविड मेकशिफ्ट हॉस्पिटल में ढांचे की मजबूती का भी खास ख्याल रखा गया है। वैज्ञानिक डॉ. अजय चौरसिया ने बताया कि हॉस्पिटल की नींव से लेकर ऊपर तक के ढांचे का डिजाइन इस तरह तैयार किया गया है कि यह 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाले चक्रवाती तूफान को भी झेलने में सक्षम है।
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बिना एसी के 10 डिग्री तक कम रहेगा तापमान
डा. अजय चौरसिया ने बताया कि कोविड मेकशिफ्ट हॉस्पिटल की छत में रॉकफॉल का उपयोग किया गया है। यह सिर के बाल के जैसा एक फाइबर मैटिरियल होता है। छत में 50 मिलीमीटर मोटाई के रॉकफॉल के पैनल उपयोग में लाए गए हैं। इसकी खास बात यह है कि हॉस्पिटल का तापमान बाहर की अपेक्षा अंदर 10 डिग्री तक कम रहेगा।
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ट्रेन के डिब्बों की तरह जोड़कर बढ़ाई जा सकती है बेड की क्षमता
मेकशिफ्ट हॉस्पिटल को टुकड़ों में भी बनाया जा सकता है। मसलन, सौ बेड के हॉस्पिटल के बराबर में ट्रेन के डिब्बों की तरह दूसरे ढांचे को जोड़कर इसमें बेड की संख्या को आसानी से बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस हॉस्पिटल की लागत 400 से 500 रुपये प्रति वर्ग फीट है।

रुड़की। सीबीआरआई रुड़की ने मंडी (हिमाचल प्रदेश) में चंद दिनों में ही 108 बेड का कोविड हॉस्पिटल तैयार कर दिया है। एक सप्ताह में चिकित्सकीय उपकरणों की फिटिंग के बाद इसका उद्घाटन तीन जून को हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करेंगे। इसके बाद मरीजों के भर्ती करने की प्रक्रिया शुरू होगी। खास बात यह है कि यह पूरा हॉस्पिटल फोल्डेबल है और इसे कहीं भी तैयार कर शिफ्ट किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने काम के अनुरूप ही इसका नाम कोविड-19 मेकशिफ्ट हॉस्पिटल दिया है। इससे पहले संस्थान के वैैैज्ञानिक देश में अलग-अलग 12 जगहों पर हॉस्पिटल स्थापित करा चुके हैं।

केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की के वैज्ञानिकों ने कोरोना काल में लाइफ लाइन बने मेकशिफ्ट हॉस्पिटल की तकनीक को धरातल पर उतारा है। संस्थान के निदेशक डॉ. एन गोपाल कृष्णन के निर्देशन में वैैैज्ञानिक डॉ. अजय चौरसिया, एसके नेगी और डॉ. सुवीर सिंह ने कम समय में हॉस्पिटल का ढांचा तैयार करने और इसे फोल्ड करने के बाद कहीं भी आसानी से शिफ्ट किए जाने की तकनीक विकसित की है। डॉ. चौरसिया ने बताया कि इस समय मंडी (हिमाचल प्रदेश) में कोविड हॉस्पिटल स्थापित किया जा रहा है, जिसे महज पांच से छह दिनों में बनाकर तैयार कर दिया गया है। अब इसमें उपकरणों के लिए फीटिंग आदि का काम चल रहा है। इसका उद्घाटन तीन जून को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करेंगे। इसके बाद यहां मरीजों को भर्ती करने का काम शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि तकनीक के तहत हॉस्पिटल के ढांचे में कम वजन की स्टील का प्रयोग किया गया है। पूरा ढांचा फोल्ड हो जाता है, जिससे इसे कहीं भी शिफ्ट किया जा सकता है। इस तकनीक से एलएचएमसी दिल्ली में 240 बेड का हॉस्पिटल पर काम चल रहा है।

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180 किमी रफ्तार के चक्रवाती तूफान में भी खड़ा रहेगा हॉस्पिटल

कोविड मेकशिफ्ट हॉस्पिटल में ढांचे की मजबूती का भी खास ख्याल रखा गया है। वैज्ञानिक डॉ. अजय चौरसिया ने बताया कि हॉस्पिटल की नींव से लेकर ऊपर तक के ढांचे का डिजाइन इस तरह तैयार किया गया है कि यह 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाले चक्रवाती तूफान को भी झेलने में सक्षम है।

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बिना एसी के 10 डिग्री तक कम रहेगा तापमान

डा. अजय चौरसिया ने बताया कि कोविड मेकशिफ्ट हॉस्पिटल की छत में रॉकफॉल का उपयोग किया गया है। यह सिर के बाल के जैसा एक फाइबर मैटिरियल होता है। छत में 50 मिलीमीटर मोटाई के रॉकफॉल के पैनल उपयोग में लाए गए हैं। इसकी खास बात यह है कि हॉस्पिटल का तापमान बाहर की अपेक्षा अंदर 10 डिग्री तक कम रहेगा।

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ट्रेन के डिब्बों की तरह जोड़कर बढ़ाई जा सकती है बेड की क्षमता

मेकशिफ्ट हॉस्पिटल को टुकड़ों में भी बनाया जा सकता है। मसलन, सौ बेड के हॉस्पिटल के बराबर में ट्रेन के डिब्बों की तरह दूसरे ढांचे को जोड़कर इसमें बेड की संख्या को आसानी से बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस हॉस्पिटल की लागत 400 से 500 रुपये प्रति वर्ग फीट है।



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