देहरादून : उत्तराखंड में आग का तांडव जारी है. सोमवार सुबह तक प्रदेश में आग लगने की 910 घटनाएं हो चुकी हैं. अभी तक पूरे राज्य में 1145 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ चुके हैं. राज्य में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि करीब 26 लाख रुपये की वन संपदा का नुकसान हो चुका है. चार लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि अन्य चार लोग झुलस चुके हैं. हालांकि इस आगजनी में अभी तक कितने जानवर मारे जा चुके हैं, इसका कोई आंकड़ा नहीं है. नतीजतन, राज्यभर में आज कई जिलों में डीएम की तरफ से सख्त निर्देश जारी कर दिए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि अगर कोई भी जंगल में आग लगाता हुआ मिल गया, तो उस पर बड़ा एक्शन लिया जाएगा.
जानकारी के अनुसार, राज्यभर में करीब डेढ़ हजार से भी ज्यादा स्थानीय लोग आग बुझाने के काम में जुटे हुए हैं. करीब 427 पेड़ भी जलकर खाक हो चुके हैं. अभी तक गढ़वाल में 183 आरक्षित फ़ॉरेस्ट एरिया में तो 172 सिविल और वन पंचायत एरिया में वनाग्नि की सूचना है, जबकि कुमाऊं में 343 आरक्षित फ़ॉरेस्ट एरिया में तो 139 सिविल और वन पंचायत एरिया में वनाग्नि दर्ज की गई है.
राज्यभर में पराली और झाड़-झाड़ियां जलाने पर रोक लगाई गई है. बागेश्वर जिले की डीएम अनुराधा पाल ने सख्त निर्देश दिए हैं कि खेती पराली न जलाई जाए. नियमों का उल्लंघन किए जाने पर होगी कार्रवाई की जाएगी. आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत यह कार्रवाई होगी. वन विभाग, राजस्व विभाग और पुलिस विभाग को निगरानी करने के निर्देश दिए दिए गए हैं.
बागेश्वर में हालात यहां तक हो चुके हैं कि पहाड़ों में एक हफ्ते से धुआं छाया हुआ है. जंगलों के धुएं से विजिबिलिटी भी बहुत कम हो गई है.
वहीं, हरिद्वार में भी पराली और पत्ती जलाने पर मुकदमा दर्ज होगा किया जाएगा, डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने ये आदेश दिए हैं. कहा गया है कि फसलों की पराली और गन्ने की पत्ती किसान कतई न जलाएं. उल्लंघन करने पर यहां भी आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी.
पौड़ी में भी वनाग्नि से रोकथाम के लिए डीएम ने आदेश जारी किए हैं, जिसके तहत वन और उनके आसपास कूड़ा जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है. यहां भी कृषि भूमि में पराली जलाने पर रोक लगाई गई है. एक हफ्ते तक पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया गया है.
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FIRST PUBLISHED : May 6, 2024, 14:21 IST