तनुज पाण्डे/ नैनीताल: उत्तराखंड का नैनीताल अपनी शिक्षा व्यवस्था के लिए अंग्रेजों के समय से ही जाना जाता है. अंग्रेजों ने यहां कई स्कूल बनवाए थे, जो आज भी नैनीताल में स्थित हैं. आज हम आपको नैनीताल के सबसे पुराने स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं. इसकी स्थापना अंग्रेजी हुकूमत में साल 1850 में मिशन स्कूल के नाम पर हुई थी.
उस दौर में पूरे कुमाऊं में अंग्रेजी शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए मिशन स्कूल खोले गए थे. इस स्कूल का उद्देश्य भारतीयों को शिक्षा प्रदान करना भी था. कुछ लोगों का मानना था कि इन स्कूलों के पीछे का उद्देश्य ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार करना था. 1908 में इस स्कूल को हंपरी नामक व्यक्ति ने खरीद लिया और तब से ये स्कूल हंपरी हाई स्कूल के नाम से जाना जाने लगा. मशहूर इतिहासकार प्रोफेसर अजय रावत बताते हैं कि हंपरी हाई स्कूल के नाम से प्रसिद्ध इस स्कूल को साल 1928 में चेतराम साह द्वारा खरीदा गया था. इसी साल इस स्कूल का नाम सीआरएसटी इंटर कॉलेज (चेतराम साह ठुलघरिया) रख दिया गया.
प्रोफेसर रावत बताते हैं कि इस स्कूल से कई प्रशासनिक अधिकारी शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं. साथ ही यहां से पढ़े कई विद्यार्थी विदेशों में अपना लोहा मनवा रहे हैं. सीआरएसटी इंटर कॉलेज नैनीताल शहर के सबसे पुराने स्कूलों में से एक है. इस स्कूल की बिल्डिंग शहर की ऐतिहासिक इमारतों में से एक है.
राष्ट्रीय खिलाड़ी और ओलंपियन भी कर चुके हैं पढ़ाई
प्रोफेसर रावत बताते हैं कि सीआरएसटी इंटर कॉलेज में कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी भी शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि यहां से शिक्षा प्राप्त कर चुके राजेंद्र सिंह रावत और साजिद अली तब के जमाने में ओलंपिक में प्रतिभाग कर चुके हैं. साथ ही यहां से पढ़े नरेंद्र सिंह बिष्ट और ललित साह जूनियर इंडिया टीम में खेल चुके हैं.
FIRST PUBLISHED : May 6, 2024, 12:30 IST