हिना आज़मी/ देहरादून. जंगलों की आग से लेकर घरों में लगी आग की लपटों के बीच लोगों को बचाने के लिए फायर फाइटर अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों की जान बचाते हैं. विश्व में 4 मई का दिन फायर फाइटर दिवस के रूप में मनाया जाता है. जिसका मकसद फायर फाइटरों को उनके मुश्किल भरे काम के लिए धन्यवाद देना और उनका सम्मान करना होता है. गर्मी बढ़ने के साथ ही उत्तराखंड समेत देशभर में हजारों फायर फाइटर सर पर कफ़न बांधे सिर्फ अपने फर्ज को निभाने के लिए घर-परिवार से लेकर सबकुछ भूल जाते हैं. आग की खबर मिलते ही उनके परिजनों की चिंता भी बढ़ जाती है. इन दिनों राज्य के अलग-अलग हिस्सों में वनाग्नि के साथ-साथ राजधानी में भी आग लगने के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में फायर मैन 24 घंटे सक्रिय हैं. अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों के आशियाने और जिंदगी बचाते हैं. उनके सम्मान में ही वर्ल्ड फायर फाइटर डे मनाया जाता है.
कब शुरू हुआ यूरोप में फायर फाइटर डे?
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के मुख्य अग्निशमन अधिकारी वी बी यादव लोकल 18 को बताते हैं कि रोम में आग को काबू करने के लोगों सबसे पहले एक सिस्टम बनाया था जिसमें फायर फाइटर बाल्टी और पाइप से आग बुझाते थे. उनमें से एक बहादुर सेंट फ्लोरिन की मौत 4 मई को हुई थी. फ्लोरिन एक संत होने के साथ ही फायर फाइटर भी थे. ऐसा कहा जाता है कि एक बार उनके गांव में आग लग गई थी तो उन्होंने महज एक बाल्टी पानी से पूरे गांव की आग बुझा दी थी. इसके बाद से यूरोप में हर साल 4 मई को फायर फाइटर मनाया जाने लगा.
1999 में हुई विश्व फायर फाइटर दिवस की शुरुआत
वी बी यादव ने बताया कि पूरे विश्व में फायर फाइटर दिवस पहली बार 1999 में मनाया गया था. जब ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया स्थित लिंटन की झाड़ियों में आग लगी थी. आग को बुझाने पहुंची टीम के 5 सदस्यों की विपरीत दिशा से हवा बहने की वजह से आग में झुलसकर मौत हो गई थी. मौसम विभाग की तरफ से हवा के विपरीत दिशा में बहने की कोई भविष्यवाणी नहीं हुई थी, लेकिन अचानक हवा की दिशा बदलने से 5 फायर फाइटर आग की चपेट में आ गए. उन्हीं फाइटर्स के याद और सम्मान में हर साल 4 मई को अंतरराष्ट्रीय अग्निशमन दिवस मनाया जाता है.
कई चुनौतियों से लड़ते हैं फायर फाइटर
वी बी यादव कहते हैं कि चुनौतियों से भरे इस काम में फायर मैन पूरी निष्ठा के साथ जुटा रहता है, आग लगने पर जहां से लोग अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे होते हैं. वहां फायरमैन लोगों की जान बचाने के लिए उस आग की लपटों के बीच पहुंचता है. जहां क़ई बार वापस आने का रास्ता नहीं दिखता. धुएं और आग के बीच सांस लेना भी मुश्किल होता है. संकरी गलियों में वाहनों के न पहुं चने पर हॉज पाइप को फैलाकर पानी से आग बुझाना और उसे कंट्रोल करना बहुत चुनौतीपूर्ण काम है क्योंकि इसका फोर्स बहुत ज्यादा लगता है.
देहरादून में हो सकता था बड़ा हादसा
अग्निशमन विभाग के जाबांज हमेशा एक्टिव रहते हैं. शुक्रवार को प्रेमनगर क्षेत्र में अचानक पेट्रोल से भरे टैंकर में आग लग गई और तत्काल कार्रवाई करते हुए मुख्य अग्निशमन अधिकारी के साथ पूरी टीम जिनमें महिलाएं भी शामिल थी. अग्निशमन विभाग ने कड़ी मशक्कत कर आग पर काबू पाया और टैंकर फटने से बचाकर बड़े हादसे को रोक दिया अन्यथा राजधानी देहरादून में बड़ी घटना हो सकती थी.
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FIRST PUBLISHED : May 4, 2024, 14:15 IST