योग दिवस : विदेश में भी योग की अलख जगा रहे राकेश, नौ सालों से लोगों को जागरूक कर रहे प्रदीप

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आईआईटी रुड़की में बतौर योग प्रशिक्षक तैनात राकेश मलिक देश के साथ ही विदेश में भी योग की अलख जगा रहे हैं। यहां वह एक साल में 10 से 15 विदेशी छात्रों को योग सिखाते हैं। इनके कुछ विद्यार्थी योग सीखने के बाद प्रोफेसर बनने के बाद अन्य छात्रों को भी नियमित योग सीखा रहे हैं। मलिक अब तक आठ हजार से ज्यादा छात्र-छात्राओं को योग सीखा चुके हैं।

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रुड़की निवासी योग प्रशिक्षक राकेश मलिक को बचपन से ही योग और व्यायाम का शौक रहा है, इसलिए 12 तक की पढ़ाई करने के बाद इनका योग की ओर रुझान बढ़ने लगा। ऐसे में इन्होंने अपने शौक को ही अपना व्यवसाय बनाने का मन बना लिया। इसके बाद इन्होंने गुरुकुल कांगड़ी से योग से एमए किया।

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यहां अपने अध्ययन के दौरान इन्होंने योग की सारी विधाएं सीखीं। इसके बाद वर्ष 2005 में ये गुरुकुल कांगड़ी से पासआउट हो गए। इसी साल इन्होंने आईआईटी में बतौर योग प्रशिक्षक की नौकरी ज्वाइन कर ली। राकेश मलिक का कहना है कि 2005 से वह हर साल 500 छात्र-छात्राओं को योग सिखाते आ रहे हैं। इसमें हर साल 10 से 15 छात्र-छात्राएं विदेशी होते हैं।

उन्होंने बताया कि विदेशी छात्र-छात्राओं की खास बात यह है कि वे एक बार योग सीखने के बाद उसे अपनी दिनचर्या बना लेते हैं। साथ ही योग सीखने के बाद अन्य लोगों को भी योग सीखना शुरू कर देते हैं। यही कारण है कि उनका सिखाया हुआ योग आज दूसरे देशों में भी लोग नियमित कर रहे हैं। बताया कि अब तक वह करीब आठ हजार छात्र-छात्राओं को योग सीखा चुके हैं। इसमें से बहुत से छात्र पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रोफेसर बन गए। ऐसे में उनके ये विद्यार्थी अपने विद्यार्थियों की योग कक्षा लेते हैं।

शरीर स्वस्थ रखने का एकमात्र उपाय योग

योग प्रशिक्षक राकेश मलिक कहते हैं कि वर्तमान में हर कोई व्यक्ति किसी न किसी रोग से पीड़ित है। इसके लिए लोग नियमित दवाएं भी खाते रहते हैं, जबकि यदि व्यक्ति योग को नियमित तौर पर अपने जीवन में करना शुरू कर दे तो किसी भी बीमारी से दूर रहा जा सकता है। व्यक्ति को कम से कम सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, पश्चिमासन, हलासन आदि नियमित करने चाहिए।

कोविड कर्फ्यू के दौरान निशुल्क चलाया ऑनलाइन अभियान 

चमोली जिले के थापली गांव के योगाचार्य प्रदीप थपलियाल पिछले नौ सालों से लोगों को योग करने के लिए जागरूक करने में लगे हैं। कोरोना संक्रमण के कारण जब लॉकडाउन और फिर कोविड कर्फ्यू घोषित हुआ तो प्रदीप ने कोरोना से लड़ने के लिए निशुल्क ऑनलाइन योग अभियान चलाया। आज उनके सिखाए योग के कारण कई लोग कोरोना की जंग जीतने में सफल रहे। चमोली जिले के 37 वर्षीय प्रदीप थपलियाल ने वर्ष 2012 में देव संस्कृत विवि हरिद्वार से योग की शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद से वे लोगों को योग के प्रति जागरूक कर रहे हैं।

वे जिले के विभिन्न विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के साथ ही जिलास्तरीय अधिकारियों को विभिन्न योगाभ्यास करा चुके हैं। कोरोना संक्रमण के चलते बीते वर्ष जब लॉकडाउन हुआ तो प्रदीप ने ऑनलाइन योग की कक्षाएं शुरू कीं। उनकी कक्षाओं में दूसरे राज्यों के लोग भी जुड़ने लगे। अभी तक वे 1500 से अधिक लोगों को योग की विभिन्न विधाएं सीखा चुके हैं। कोरोना संक्रमण से जूझ रहे लोगों के लिए प्रदीप ने योग अभियान शुरू किया। प्रदीप मौजूदा समय में श्री ज्वाल्पा धाम संस्कृत विद्यालय पौड़ी में योग शिक्षक के रूप में सेवारत हैं।

योगाचार्य प्रदीप का कहना है कि योग और ध्यान के रूप में और प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाने पर शरीर में उत्पन्न विकार नष्ट हो जाते हैं। कोरोना कर्फ्यू के दौरान सुबह और शाम लोगों के लिए योग की कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। पिछले एक माह से श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय रायपुर, छत्तीसगढ़ के करीब 25 छात्र-छात्राओं व शिक्षकों को ऑनलाइन एक घंटे तक योग सिखाया जा रहा है। प्रदीप का कहना है कि योग से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह के साथ शरीर स्फूर्तिवान बना रहता है।



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