ख़बर सुनें
ख़बर सुनें
इमलीखेड़ा गांव के कुछ लोग आवासीय योजना के तहत एक पक्के मकान के लिए कई साल से भटक रहे हैं। अब इमलीखेड़ा को नगर पंचायत का दर्जा दिए जाने की कवायद ने इन लोगों के हौसले तोड़ दिए हैं।
रुड़की ब्लॉक के इमलीखेड़ा के वेदप्रकाश प्रजापति, रामपाल, विनोद और सोम प्रकाश प्रजापति सहित कई परिवार गांव में करीब 50 साल से क्षतिग्रस्त मकान में रह रहे हैं। हर बरसात में टपकने के कारण उन्हें घर गिरने का डर सताता रहता है। इनके पास शौचालय तक नहीं है। ये लोग मेहनत मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। बेहद गरीब होने के चलते ये लोग आज तक अपना पक्का मकान नहीं बना पाए। इनका आरोप है कि इन्होंने कई साल पहले ब्लॉक में इंदिरा आवास योजना के तहत एक पक्का मकान और शौचालय दिए जाने के लिए आवेदन किया था। आरोप है कि कुछ साल तक तो ब्लॉक में अधिकारियों ने उनका आवेदन लटकाए रखा। कुछ समय पहले जांच कर उन्हें पात्र पाया गया। तब उन्हें उम्मीद जगी थी कि अब उन्हें अपना पक्का घर मिल जाएगा। उसी दौरान जिले में इमलीखेड़ा को नगर पंचायत बनाने की कवायद शुरू हो गई थी। ऐसे में ब्लॉक में अधिकारियों ने भी इस गांव की आवासीय योजना की फाइल अधर में अटका दी। आरोप है कि अधिकारियों का कहना है कि अब नगर पंचायत बनने के बाद वही से योजना का लाभ मिलेगा। ऐसे में उनके सामने अपने घर का संकट खड़ा हो गया। उन्होंने मामले में बीडीओ से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है। वहीं मामले में बीडीओ आरपी सती का कहना है कि वहां के जो लोग इमलीखेड़ा ग्राम पंचायत रहते हुए पात्र पाए गए थे उन्हें योजना का लाभ दिया जाएगा।
इमलीखेड़ा गांव के कुछ लोग आवासीय योजना के तहत एक पक्के मकान के लिए कई साल से भटक रहे हैं। अब इमलीखेड़ा को नगर पंचायत का दर्जा दिए जाने की कवायद ने इन लोगों के हौसले तोड़ दिए हैं।
रुड़की ब्लॉक के इमलीखेड़ा के वेदप्रकाश प्रजापति, रामपाल, विनोद और सोम प्रकाश प्रजापति सहित कई परिवार गांव में करीब 50 साल से क्षतिग्रस्त मकान में रह रहे हैं। हर बरसात में टपकने के कारण उन्हें घर गिरने का डर सताता रहता है। इनके पास शौचालय तक नहीं है। ये लोग मेहनत मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। बेहद गरीब होने के चलते ये लोग आज तक अपना पक्का मकान नहीं बना पाए। इनका आरोप है कि इन्होंने कई साल पहले ब्लॉक में इंदिरा आवास योजना के तहत एक पक्का मकान और शौचालय दिए जाने के लिए आवेदन किया था। आरोप है कि कुछ साल तक तो ब्लॉक में अधिकारियों ने उनका आवेदन लटकाए रखा। कुछ समय पहले जांच कर उन्हें पात्र पाया गया। तब उन्हें उम्मीद जगी थी कि अब उन्हें अपना पक्का घर मिल जाएगा। उसी दौरान जिले में इमलीखेड़ा को नगर पंचायत बनाने की कवायद शुरू हो गई थी। ऐसे में ब्लॉक में अधिकारियों ने भी इस गांव की आवासीय योजना की फाइल अधर में अटका दी। आरोप है कि अधिकारियों का कहना है कि अब नगर पंचायत बनने के बाद वही से योजना का लाभ मिलेगा। ऐसे में उनके सामने अपने घर का संकट खड़ा हो गया। उन्होंने मामले में बीडीओ से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है। वहीं मामले में बीडीओ आरपी सती का कहना है कि वहां के जो लोग इमलीखेड़ा ग्राम पंचायत रहते हुए पात्र पाए गए थे उन्हें योजना का लाभ दिया जाएगा।