कमल पिमोली/श्रीनगर गढ़वाल. भगवान शिव के प्रति आस्था रखने वाले करोड़ों भक्त हैं, लेकिन भगवान की भक्ति में लीन होकर हजारों किमी की पैदल दूरी तय कर अपने आराध्य के पास पहुंचना हर किसी के लिए संभव नहीं है. इन दिनों चारधाम यात्रा (Chaardham Yatra) से पूर्व कुछ लोग भोलेनाथ को कंधे पर रख ध्यानावस्था में लीन भगवान शिव की मूर्ति को लेकर 750 किमी की यात्रा पर निकले हैं. इन युवाओं का मकसद पंचकेदारों (Panch kedar) के दर्शन करने के साथ वहां गंगा जल अर्पित करना है.
विश्व शांति के साथ सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से मेरठ के रहने वाले चार दोस्तों ने अपनी पंच केदार की यात्रा शुरू की है. इस आध्यात्मिक यात्रा को पूरा करने में इन्हें 1 महीने का समय लगेगा. इस दौरान रूद्रनाथ, मध्यमहेश्वर, कल्पेश्वर, केदारनाथ, तुंगनाथ की चढ़ाई भी पार करेंगें.
पंच केदार की यात्रा पर चार दोस्त
यात्रा पर निकले दोस्तों की टोली के आदेश बताते हैं कि उनकी भगवान शिव के प्रति अटूट आस्था है. सावन के दौरान भी वें कावड़ लेने के लिए हरिद्वार पहुंचते हैं. बताते हैं कि वें दो बार 121 लीटर कावड़ हरिद्वार से मेरठ ले जा चुके हैं. आगे उन्होंने बताया कि इस बार वह और उनके दोस्त गंगा जल भगवान शिव के पंच केदारों में अर्पित करने का मन बनाए है. इसलिए ही कपाट खुलने से पूर्व यात्रा शुरू कर दी. आदेश आगे बताते हैं कि उन्होंने हरिद्वार से गंगाजल भरकर यात्रा शुरू की है. उनके साथ तीन अन्य साथी भी शामिल हैं. सभी दो-दो लीटर गंगाजल लेकर पंच केदार की यात्रा पर निकले हैं. हरिद्वार से शुरू हुई 750 किमी की यह यात्रा अभी श्रीनगर गढ़वाल पहुंची है.
तपती गर्मी में आस्था की यात्रा
आगे कहते हैं कि वें कंधे पर भोलेनाथ की मूर्ति उठाकर यह यात्रा कर रहे हैं. मूर्ति का वजन 9 किलो है. तपती धूप में पैदल यात्रा के बीच जब एक थक जाता है, तो दूसरे के कंधे पर भोलेनाथ सवार हो जाते हैं. कहते हैं कि इससे पहले वे कभी पंचकेदार नहीं गये है, हालांकि एक बार केदारनाथ धाम गये थे, लेकिन रूद्रनाथ, तुंगनाथ, कल्पेश्वर, मध्यमहेश्वर की यात्रा पहली बार है.
सनातन धर्म के प्रति है अटूट आस्था
सौरभ चौहान बताते हैं कि रास्ते में रुकने या फिर भोजन की कोई दिक्कत न हो. इसके लिए बाइक पर टेंट, कपड़े, बर्तन भी साथ ले जा रहे हैं. बताते हैं कि एक व्यक्ति बाइक चलाता है, तो तीन पैदल भोलेनाथ को कंधों पर सवार कर चलते हैं. जब किसी को थकान लगती है तो वह बाइक चलाता है. कहते हैं कि जब परिजनों को अपनी इस पैदल यात्रा के बारे में बताया तो सभी चिंतित हो गये, लेकिन मनाने के बाद परिजन भी इस आध्यात्मिक यात्रा के लिए मान गये. आगे उन्होंने बताया कि इस यात्रा से वह सनातन धर्म का प्रचार – प्रसार कर रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : May 5, 2024, 17:21 IST