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Election 2024: चुनाव लड़ने जो पहुंचा हरिद्वार, उसका हुआ उद्धार…कुछ पहुंचे राजनीति के शिखर पर, जानें इतिहास

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Election 2024: चुनाव लड़ने जो पहुंचा हरिद्वार, उसका हुआ उद्धार…कुछ पहुंचे राजनीति के शिखर पर, जानें इतिहास


हरिद्वार लोकसभा सीट
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


साल 1977 में वजूद में आई हरिद्वार लोकसभा सीट ने राजनीति के परिदृश्य से नेपथ्य में चल रहे राजनेताओं को ताज पहनाकर उनके राजनीतिक भविष्य का उदय किया है। भले ही उनकी यहां हार हुई या जीत। इस सीट से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों का इतिहास रहा है कि उन्हें केंद्र और राज्य में नई जिम्मेदारी मिली। कुछ तो मुख्यधारा की राजनीति के शिखर पर जा पहुंचे।

हरिद्वार संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले राजनेताओं की लंबी फेहरिस्त है। उनमें प्रमुख रूप से बसपा सुप्रीमो मायावती, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक और अब पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत यहां से 2024 के आम चुनाव में भाजपा के टिकट पर ताल ठोक रहे हैं।

दूसरे स्थान पर रहीं बसपा सुप्रीमो मायावती

वर्ष 1984 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के सुंदरलाल चुनाव जीते थे। उनके निधन के बाद 1987 के उपचुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती और लोक जनशक्ति पार्टी के रामविलास पासवान ने हाथ आजमाया। चुनाव परिणाम घोषित हुए तो कांग्रेस के रामसिंह ने 1,49,377 मत लेकर 23,978 वोटों के अंतर से ये चुनाव जीत गए। बसपा सुप्रीमो मायावती दूसरे स्थान पर रहीं और उन्हें 1,25,399 वोट मिले।

रामविलास पासवान को 34,225 वोट मिले। पासवान ने यह चुनाव जनता पार्टी के टिकट पर लड़ा था। इसके बाद 1989 में रामविलास पासवान बिहार हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीते और विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में केंद्रीय श्रम और कल्याण मंत्री बने। पासवान को छह प्रधानमंत्रियों के साथ काम करने का अनुभव था।



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