प्रणव पंड्या मामला: पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने किया रद्द, दिया यह आदेश

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रोशनाबाद (रुड़की)
Published by: Nirmala Suyal Nirmala Suyal
Updated Fri, 10 Sep 2021 12:51 PM IST

सार

अधिवक्ता कुलदीप सिंह और राहुल पांडेय ने बताया कि पीड़ित युवती ने दिल्ली के विवेक विहार थाने में जीरो एफआईआर दर्ज कराई थी। मामला शांतिकुंज हरिद्वार से संबंधित होने के कारण रिपोर्ट को बाद में हरिद्वार नगर कोतवाली में पंजीकृत किया गया था।

डा. प्रणव पंड्या
– फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो

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शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या और उनकी पत्नी शैलबाला के खिलाफ दुष्कर्म के आरोपों के संबंध में पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुकेश चंद्र आर्य ने रद्द कर दिया है। साथ ही नगर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक को मामले की आगे की जांच कराकर तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

अधिवक्ता कुलदीप सिंह और राहुल पांडेय ने बताया कि पीड़ित युवती ने दिल्ली के विवेक विहार थाने में जीरो एफआईआर दर्ज कराई थी। मामला शांतिकुंज हरिद्वार से संबंधित होने के कारण रिपोर्ट को बाद में हरिद्वार नगर कोतवाली में पंजीकृत किया गया था। पीड़िता ने शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या पर दुष्कर्म करने और उनकी पत्नी शैलबाला पर धमकाकर चुप रहने के आरोप लगाए थे।

मामले की जांच के बाद विवेचक ने 10 अक्तूबर 2020 को अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में जमा की थी। रिपोर्ट पर आपत्ति प्रस्तुत करने के लिए पीड़िता को कोर्ट में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन पीड़िता ने कोर्ट में उपस्थित होकर शपथपत्र के माध्यम से बताया कि पुलिस की रिपोर्ट ठीक है। उसके साथ ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी। यह कुछ लोगों की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने और बदला लेने का हथकंडा था।

उन्होंने उसका गलत इस्तेमाल किया और षड्यंत्र रचकर झूठा मुकदमा दर्ज कराया था। पीड़िता ने यह भी कहा था कि वह डॉ. प्रणव पंड्या और शैलबाला के विरुद्ध झूठे केस को नहीं चलाना चाहती। इसलिए पुलिस की ओर से दाखिल खात्मा रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए।

कोर्ट ने अंतिम रिपोर्ट पर सुनवाई करने के बाद पाया कि सही तथ्य के लिए मामले में आगे की विवेचना कराया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। कोर्ट ने नगर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक को मामले की आगे की विवेचना नियमानुसार किसी अन्य सक्षम अधिकारी से कराने के बाद तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। 

विस्तार

शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या और उनकी पत्नी शैलबाला के खिलाफ दुष्कर्म के आरोपों के संबंध में पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुकेश चंद्र आर्य ने रद्द कर दिया है। साथ ही नगर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक को मामले की आगे की जांच कराकर तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

अधिवक्ता कुलदीप सिंह और राहुल पांडेय ने बताया कि पीड़ित युवती ने दिल्ली के विवेक विहार थाने में जीरो एफआईआर दर्ज कराई थी। मामला शांतिकुंज हरिद्वार से संबंधित होने के कारण रिपोर्ट को बाद में हरिद्वार नगर कोतवाली में पंजीकृत किया गया था। पीड़िता ने शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या पर दुष्कर्म करने और उनकी पत्नी शैलबाला पर धमकाकर चुप रहने के आरोप लगाए थे।

मामले की जांच के बाद विवेचक ने 10 अक्तूबर 2020 को अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में जमा की थी। रिपोर्ट पर आपत्ति प्रस्तुत करने के लिए पीड़िता को कोर्ट में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन पीड़िता ने कोर्ट में उपस्थित होकर शपथपत्र के माध्यम से बताया कि पुलिस की रिपोर्ट ठीक है। उसके साथ ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी। यह कुछ लोगों की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने और बदला लेने का हथकंडा था।

उन्होंने उसका गलत इस्तेमाल किया और षड्यंत्र रचकर झूठा मुकदमा दर्ज कराया था। पीड़िता ने यह भी कहा था कि वह डॉ. प्रणव पंड्या और शैलबाला के विरुद्ध झूठे केस को नहीं चलाना चाहती। इसलिए पुलिस की ओर से दाखिल खात्मा रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए।

कोर्ट ने अंतिम रिपोर्ट पर सुनवाई करने के बाद पाया कि सही तथ्य के लिए मामले में आगे की विवेचना कराया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। कोर्ट ने नगर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक को मामले की आगे की विवेचना नियमानुसार किसी अन्य सक्षम अधिकारी से कराने के बाद तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। 



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