श्रीमद्भागवत गीता अखिल भारतीय सम्मेलन ब्रह्माकुमारीज ने किया आयोजित, गीता को जीवन मे उतारने की आवश्यकता पर दिया गया बल

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गुरुग्राम ।    प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में 27 जुलाई से अखिल भारतीय गीता सम्मेलन का आयोजन किया गया।जिसमें भगवदगीता द्वारा नया मार्गदर्शन विषय पर देशभर से पधारे सन्त महात्माओ,विद्वानी,कई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, धर्म प्रचारकों ने सकारात्मक विचार मंथन किया।सम्मेलन के सूत्रधार ब्रह्माकुमारीज संस्था के अतिरिक्त महासचिव बीके ब्रज मोहन भाई ने अतितियो, प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए स्पष्ट किया कि संस्था का उद्देश्य श्रीमद्भागवत गीता के वास्तविक पक्ष को सामने रखकर यह संदेश जन सामान्य तक पहुंचाना है कि गीता की रचना स्वयं परमपिता परमात्मा द्वारा की गई है।साथ ही गीता एक दूसरे के विरुद्ध युद्व करके नही अपितु स्वयं के विकारो के विरुद्ध युद्ध करके पतित से पावन बनने के संदेश का ग्रन्थ है।उन्होंने अपने धाराप्रवाह सम्बोधन में गीता को परमात्मा का सम्बोधन ग्रन्थ बताया और कहा कि शिव परमात्मा ने ही गीता के माध्यम से जीवन जीने की कला बताई है और हम मनुष्य से देवता कैसे बन सकते है,कलियुग से संगमयुग होते हुए सतयुग कैसे आ सकता का का सार समझाया।न्यायमूर्ति रहे बीके ईश्वर्या ने गीता को सत्यमेव जयते का परम सन्देश वाहक बताया।संत गोपाल कृष्ण ने अंग्रेजी भाषा मे सम्बोधन करते हुए गीता के रचयिता केवल ओर केवल परमात्मा ही हो सकते है जिन्होंने दुनिया को हर समस्या के समाधान का उपाय गीता में बताया।उन्होंने संस्कृत में गीता से जुड़े श्लोकों के माध्यम से सम्मेलन को उच्चता प्रदान की।ब्रह्माकुमारीज धर्म प्रभाग की प्रमुख बहन बीकेमनोरमा के कुशल संचालन में देहरादून से आये धर्म विद्वान विपिन चन्द्र जोशी ने श्रीमद्भागवत गीता को पूरी दुनियां का दिव्य ग्रन्थ बताया। महामंडलेश्वर धर्मदेव जी महाराज ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्था की प्रशंसा करते हुए शिव बाबा का भावपूर्ण स्मरण किया और कहा कि जो भी ब्रह्माकुमारीज के सम्पर्क में आया ,उसका जीवन सफल हो गया।इस दुनिया को बनाने वाला परमात्मा है।इसी दुनिया मे महाभारत युद्व और श्रीकृष्ण के मुख से निकले 700 श्लोक संदेशो को श्रीमद्भागवत में समाहित किया गया। सम्मेलन के दौरान पैनल डिस्कसन भी की ग्रुपो में किया गया।ग्रुप ए व बी द्वारा सत्यमेव जयते,अहिंसा परमोधर्मः ओर श्रीमद्भागवत गीता को लेकर बारीकी के साथ विद्वानों ने चर्चा की गईं।जिसमे पैनलिस्ट के रूप में राजयोगिनी बीके उषा, प्रोफेसर अलेख चन्द्र श्रंगारी, स्वामी बलराम मुनि रामतीर्थ, डॉ श्रीप्रकाश मिश्रा ,डॉ राजीव गुप्ता,डॉ पुष्पा पांडेय, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रोफेसर महावीर अग्रवाल, प्रोफेसर प्रफुल्ल कुमार मिश्रा, डॉ सुरेंद्र मोहन मिश्रा व बीके वीना बहन शामिल रही।वही दूसरे सत्र के पैनल डिस्कसन में गीता का निराकार भगवान (परमात्मा)कौन? व परमात्मा के साकार माध्यम की पहचान विषय पर पूर्व न्यायाधीश वी ईश्वर्या, शिक्षा विद डा योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण,संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल के कुलपति डा श्रेयांस द्विवेदी,प्रोफेसर गंगा धर पांडा, बीके त्रिनाथ इनाला आदि शामिल रहे।सारांश सत्र में वर्तमान समय मे भगवद्गीता की शिक्षाओ का महत्व विषय के तहत गीता को परमात्मा का कथन स्वीकारते हुए गीता को जीवन मे उतारने की आवश्यकता अभिव्यक्त की गई।सम्मेलन में सतो, रजो,तमो अवस्थाओं पर भी विचार मंथन किया गया।साथ ही सत्य और अहिंसा के परस्पर सम्बन्ध,अहिंसा की परिभाषा, अहिंसा परमोधर्मः युक्त भारत कब और कैसे? जैसे विषयों पर भी विद्वानों ने अपने अपने मत व्यक्त किये।

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