कॉमन सर्विस सेंटर: ‘डिजी पे सखी’ योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों की 150 महिलाएं चयनित

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निजी आयोजन पर बंदिश नहीं है। देशभर में 16 मार्च से आचार संहिता लागू है। उत्तराखंड में प्रथम चरण...

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ग्यारह लाख 30 हजार से ज्यादा मूल्य की वन संपदा को नुकसान हो चुका है। उधर, देहरादून में...


अमित सैनी, अमर उजाला, रुड़की
Published by: Nirmala Suyal Nirmala Suyal
Updated Mon, 23 Aug 2021 03:50 PM IST

सार

केंद्र सरकार के अधीन सीएससी पर अब लगभग सभी सरकारी कामकाज होने लगे हैं। अधिकतर योजनाओं के लिए आवेदन करने के अलावा जाति, मूल, पेंशन, जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्रों के लिए सीएससी पर ही आवेदन करना पड़ता है।

प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : फाइल फोटो

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कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की कमान भी अब स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के हाथों में भी आने वाली है। महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के लिए शुरू की गई ‘डिजी पे सखी’ योजना में जिले की स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं करीब 150 महिलाओं का चयन किया गया है। इन महिलाओं को सीएससी की तरफ से सिंगल फिंगर प्रिंट मशीन निशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। शुरुआत में ये महिलाएं गांव में ही मशीन से पैसे का लेनदेन कर सकती हैं। इसके बदले इन्हें कमीशन दिया जाएगा।

केंद्र सरकार के अधीन सीएससी पर अब लगभग सभी सरकारी कामकाज होने लगे हैं। अधिकतर योजनाओं के लिए आवेदन करने के अलावा जाति, मूल, पेंशन, जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्रों के लिए सीएससी पर ही आवेदन करना पड़ता है। ऐसे में सरकार की ओर से सीएससी को और मजबूत बनाने के लिए अनेक योजनाएं आती रहती हैं। अब केंद्र ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत बनाए गए स्वयं सहायता समूह में शामिल महिलाओं को सीएससी से जोड़ने के लिए नई योजना शुरू की है। योजना महिलाओं के लिए है तो इसे ‘डिजी पे सखी’ नाम दिया गया है। इसके तहत हरिद्वार जिले से समूह की करीब 150 महिलाओं का चयन किया गया है।

सीएससी के जिला कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र चौधरी ने बताया कि इन महिलाओं को सीएससी की ओर से एक-एक सिंगल फिंगरप्रिंट मशीन दी जाएगी। इस मशीन से महिलाएं अपने गांव में समूह की अन्य महिलाओं के साथ ही ग्रामीणों के साथ पैसे का लेनदेन कर सकती हैं। मसलन, लोग एटीएम बूथ जाने के बजाय इस मशीन के माध्यम से अपने आधार कार्ड और फ्रिंगर प्रिंट से खातों से पैसे निकाल सकते हैं। इसके बदले समूह की महिलाओं को कमीशन दिया जाएगा। एनआरएलएम की ब्लॉक मिशन प्रबंधक रोमा सैनी ने कहा कि महिलाएं मन लगाकर सीएससी पर काम करेंगी। संवाद

चयनित महिलाओं को दी जाएगी ट्रेनिंग
डिजी पे सखी योजना में चयनित महिलाओं को मशीन देने से पहले ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें पैसे का लेनदेन करने और अन्य कार्यों की जानकारी दी जाएगी। जिला कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र चौधरी ने बताया कि अभी तक भगवानपुर की 25 और नारसन की सात महिलाओं को ट्रेनिंग देकर मशीन दी जा चुकी है। रुड़की ब्लॉक से 13 महिलाओं का चयन किया गया है। इसमें रेखा, सोनिया देवी, मोनिका, निशा, पिंकी, रचना, रेनू, सुमन, अमीरउस्समा, पूजा शर्मा, योजना, जया और रानी शामिल हैं। इन्हें तीन से चार दिन में ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके अलावा अन्य ब्लॉकों में भी जल्द ही ट्रेनिंग दी जाएगी।

महिलाएं चला सकती हैं संपूर्ण सीएससी
महिलाओं को पहले चरण में सिंगल फिंगर प्रिंट मशीन दी जा रही है। इससे वे पैसे का लेनदेन कर सकती हैं। यदि महिलाएं चाहें तो सीएससी खोलकर 10 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह कमा सकती हैं। इसके लिए उन्हें बस प्रिंटर और कंप्यूटर या लैपटॉप की व्यवस्था करनी होगी जबकि विभाग से मिलने वाली मशीन से महिलाएं आयुष्मान कार्ड, श्रमिक कार्ड, किसान पेंशन कार्ड आदि बना सकती हैं। इसके अलावा सीएससी पर होने वाले आधार कार्ड के अपडेट संबंधित सारे काम कर सकती हैं। अन्य सभी काम शुरू करने के लिए विभाग महिलाओं को ट्रेनिंग देगा।

विस्तार

कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की कमान भी अब स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के हाथों में भी आने वाली है। महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के लिए शुरू की गई ‘डिजी पे सखी’ योजना में जिले की स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं करीब 150 महिलाओं का चयन किया गया है। इन महिलाओं को सीएससी की तरफ से सिंगल फिंगर प्रिंट मशीन निशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। शुरुआत में ये महिलाएं गांव में ही मशीन से पैसे का लेनदेन कर सकती हैं। इसके बदले इन्हें कमीशन दिया जाएगा।

केंद्र सरकार के अधीन सीएससी पर अब लगभग सभी सरकारी कामकाज होने लगे हैं। अधिकतर योजनाओं के लिए आवेदन करने के अलावा जाति, मूल, पेंशन, जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्रों के लिए सीएससी पर ही आवेदन करना पड़ता है। ऐसे में सरकार की ओर से सीएससी को और मजबूत बनाने के लिए अनेक योजनाएं आती रहती हैं। अब केंद्र ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत बनाए गए स्वयं सहायता समूह में शामिल महिलाओं को सीएससी से जोड़ने के लिए नई योजना शुरू की है। योजना महिलाओं के लिए है तो इसे ‘डिजी पे सखी’ नाम दिया गया है। इसके तहत हरिद्वार जिले से समूह की करीब 150 महिलाओं का चयन किया गया है।

सीएससी के जिला कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र चौधरी ने बताया कि इन महिलाओं को सीएससी की ओर से एक-एक सिंगल फिंगरप्रिंट मशीन दी जाएगी। इस मशीन से महिलाएं अपने गांव में समूह की अन्य महिलाओं के साथ ही ग्रामीणों के साथ पैसे का लेनदेन कर सकती हैं। मसलन, लोग एटीएम बूथ जाने के बजाय इस मशीन के माध्यम से अपने आधार कार्ड और फ्रिंगर प्रिंट से खातों से पैसे निकाल सकते हैं। इसके बदले समूह की महिलाओं को कमीशन दिया जाएगा। एनआरएलएम की ब्लॉक मिशन प्रबंधक रोमा सैनी ने कहा कि महिलाएं मन लगाकर सीएससी पर काम करेंगी। संवाद

चयनित महिलाओं को दी जाएगी ट्रेनिंग

डिजी पे सखी योजना में चयनित महिलाओं को मशीन देने से पहले ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें पैसे का लेनदेन करने और अन्य कार्यों की जानकारी दी जाएगी। जिला कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र चौधरी ने बताया कि अभी तक भगवानपुर की 25 और नारसन की सात महिलाओं को ट्रेनिंग देकर मशीन दी जा चुकी है। रुड़की ब्लॉक से 13 महिलाओं का चयन किया गया है। इसमें रेखा, सोनिया देवी, मोनिका, निशा, पिंकी, रचना, रेनू, सुमन, अमीरउस्समा, पूजा शर्मा, योजना, जया और रानी शामिल हैं। इन्हें तीन से चार दिन में ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके अलावा अन्य ब्लॉकों में भी जल्द ही ट्रेनिंग दी जाएगी।

महिलाएं चला सकती हैं संपूर्ण सीएससी

महिलाओं को पहले चरण में सिंगल फिंगर प्रिंट मशीन दी जा रही है। इससे वे पैसे का लेनदेन कर सकती हैं। यदि महिलाएं चाहें तो सीएससी खोलकर 10 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह कमा सकती हैं। इसके लिए उन्हें बस प्रिंटर और कंप्यूटर या लैपटॉप की व्यवस्था करनी होगी जबकि विभाग से मिलने वाली मशीन से महिलाएं आयुष्मान कार्ड, श्रमिक कार्ड, किसान पेंशन कार्ड आदि बना सकती हैं। इसके अलावा सीएससी पर होने वाले आधार कार्ड के अपडेट संबंधित सारे काम कर सकती हैं। अन्य सभी काम शुरू करने के लिए विभाग महिलाओं को ट्रेनिंग देगा।



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