उत्तराखंड:21 विधानसभा क्षेत्रों में चलती है OBC की सियासत, भाजपा,कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दल आरक्षण की पैरवी पर उतरे

Must Read

लोकसभा चुनाव में मतदान के बाद भी पाबंदी, आचार संहिता की वजह इन पर रोक; यह मिली राहत 

निजी आयोजन पर बंदिश नहीं है। देशभर में 16 मार्च से आचार संहिता लागू है। उत्तराखंड में प्रथम चरण...

24 घंटे के अंदर उत्तराखंड में 52 जगह जंगल धधके, जंगलों की आग से बढ़ी परेशानी

ग्यारह लाख 30 हजार से ज्यादा मूल्य की वन संपदा को नुकसान हो चुका है। उधर, देहरादून में...


अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण विधेयक के लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद निश्चित तौर पर यह उत्तराखंड की सियासत को भी प्रभावित करेगा। उत्तराखंड के लगभग 21 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां इस बिरादरी की सियासत चलती है। ओबीसी समुदाय को आरक्षण का लाभ केंद्र अब राज्यों को देने जा रहा है। इससे भविष्य में राज्य सरकार पर अन्य जातियां भी ओबीसी में शामिल कराने के लिए दबाव बना सकती हैं। भाजपा, कांग्रेस, बसपा, उक्रांद, आप समेत अन्य सभी राजनीतिक दल ओबीसी समुदाय को 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी आरक्षण की पैरवी पर अभी से उतर आए हैं। ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनावों में ओबीसी आरक्षण भी एक नया मुद्दा बनने जा रहा है। 

इन क्षेत्रों में प्रभाव : उत्तराखंड में ओबीसी बिरादरी के सबसे ज्यादा लोग हरिद्वार में हैं। इनमें सैनी, गिरी, लोधी, प्रजापति, पाल, हिंपी, यादव, कश्यप, गुर्जर, जाट, जुलाहा, धीमान, अहीर, अरख, काछी, कोईरी, कुम्हार, मल्लाह, निषाद, कुर्मी, कांबोज, दर्जी, नट, बंजारा, मनिहार, लोहार, नाई, सलमानी, मारछा आदि हैं। इसके अलावा ऊधमसिंहनगर के रुद्रपुर, जसपुर, काशीपुर, उत्तरकाशी के गंगोत्री, यमुनोत्री और पुरोला, टिहरी के धनोल्टी थौलदार व प्रतापनगर का कुछ हिस्सा, पिथौरागढ़ का मुनस्यारी और पौड़ी का राठ क्षेत्र ओबीसी के दायरे में है। 

रवांईघाटी को 27 फीसदी है आरक्षण : उत्तराखंड में सिर्फ रवांईघाटी क्षेत्र के लोगों को ही केंद्रीय ओबीसी के समान लाभ मिलता है। इस क्षेत्र के लोग दशकों से जनजाति क्षेत्र घोषित करने की मांग कर रहे थे, पर इससे लगे जौनसार को तो यह दर्जा मिल गया, लेकिन रवांई छूट गया। एनडी तिवारी सरकार ने इस इलाके को ओबीसी घोषित किया था, जबकि निशंक सरकार ने क्षेत्र को 27% आरक्षण दिलाने को सदन से प्रस्ताव भेज कर केंद्र से सिफारिश की थी। विजय बहुगुणा सरकार ने इसके बाद पूरे उत्तरकाशी जनपद को ओबीसी घोषित कर दिया था।

उत्तराखंड में जनसंख्या के हिसाब से ओबीसी समुदाय को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। मौजूदा 14 फीसदी आरक्षण बहुत कम है। जातिगत जनगणना होने पर ही इस समुदाय के हित सुरक्षित हो सकते हैं। केंद्र अब राज्यों को ओबीसी आरक्षण का अधिकार देने जा रहा है, इससे समुदाय के लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं।  
राजेंद्र गिरी अध्यक्ष, भाजपा ओबीसी मोर्चा  

आबादी के अनुसार आरक्षण का दायरा भी बढ़ना चाहिए। हालिया 20 वर्ष में प्रदेश की आबादी में उत्तरोत्तर बढ़ोत्तरी हुई है। प्रदेश में कई इलाके ऐसे भी हैं जो विकास की राह में पिछड़े हुए हैं। कांग्रेस सत्ता में आने पर उन्हें भी ओबीसी के दायरे में लेगी। इस प्रस्ताव को पार्टी के घोषणा पत्र में भी शामिल किया जा रहा है। 
गोदावरी थापली प्रदेश महामंत्री, कांग्रेस

 



Source link

Leave a Reply

Latest News

लोकसभा चुनाव में मतदान के बाद भी पाबंदी, आचार संहिता की वजह इन पर रोक; यह मिली राहत 

निजी आयोजन पर बंदिश नहीं है। देशभर में 16 मार्च से आचार संहिता लागू है। उत्तराखंड में प्रथम चरण...

24 घंटे के अंदर उत्तराखंड में 52 जगह जंगल धधके, जंगलों की आग से बढ़ी परेशानी

ग्यारह लाख 30 हजार से ज्यादा मूल्य की वन संपदा को नुकसान हो चुका है। उधर, देहरादून में सोमवार को एसडीओ उदय गौड़...

सरेराह युवती को छेड़ने पर हुई मारपीट

झबरेड़ा। कस्बे क्षेत्र स्थित बस अड्डे के पास एक युवक ने युवती के साथ छेड़छाड़ करने लगा। युवती ने जब इसका विरोध किया...

Roorkee News: रामनगर में नालों की सफाई नहीं होने से लोग परेशान

रामनगर में नालों की सफाई नहीं होने से लोग परेशान Source link

More Articles Like This