उत्तराखंड: रुड़की के निजी अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने से पांच कोरोना संक्रमितों की मौत, सीएम ने दिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश

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सार

बताया जा रहा है कि करीब 25 मिनट तक ऑक्सीजन बाधित रही, जिसके कारण मरीजों की मौत हुई। इसमें एक मरीज वैंटीलेटर पर था और चार ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे।

प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो

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उत्तराखंड में हरिद्वार जिले के रुड़की के एक निजी अस्पताल में सोमवार देर रात करीब डेढ़ बजे ऑक्सीजन खत्म होने से पांच कोरोना संक्रमितों ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि प्रशासन को रात दस बजे ही फोन पर ऑक्सीजन की कमी की सूचना दे दी गई थी, जिसे गंभीरता से नहीं लिया गया। वहीं, प्रशासन के अनुसार, केवल मैसेज भेजकर लिक्विड ऑक्सीजन की मांग की गई थी जबकि सुबह पता चला कि अस्पताल के पास पर्याप्त ऑक्सीजन सिलिंडर भी नहीं थे। अस्पताल के पास पर्याप्त ऑक्सीजन बैकअप भी नहीं है। 

कोरोना से जूझती सांसे: औद्योगिक ऑक्सीजन खरीदने को मजबूर हुए तीमारदार, लेकिन इससे खतरे में पड़ सकती है जान

रुड़की के विनय विशाल हॉस्पिटल को कोविड सेंटर बनाया गया है। फिलहाल यहां 85 कोरोना संक्रमित भर्ती हैं। सोमवार देर रात अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने लगी थी। ऑक्सीजन आपूर्ति के प्रयास के बीच डेढ़ बजे ऑक्सीजन पूरी तरह खत्म हो गई। करीब बीस मिनट बाद जब तक ऑक्सीजन पहुंची और आपूर्ति सुचारु हुई, तब तक वेंटिलेटर पर लेटे एक मरीज और सिलिंडर से ऑक्सीजन ले रहे चार मरीजों की दर्दनाक मौत हो गई। अस्पताल संचालक विशाल घई ने बताया कि कई बार ऑक्सीजन ज्यादा खर्च होती है। सोमवार रात में ऑक्सीजन की दिक्कत आने की आशंका के चलते रात दस बजे ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामि बंसल को अवगत कराया गया था कि लिक्विड ऑक्सीजन खत्म हो रही है और ऑक्सीजन सिलिंडर से काम नहीं चल पाएगा।

इसकी जानकारी जिला नोडल अधिकारी पल्लवी गुप्ता को भी दी गई, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। किसी तरह रात में ही ऑक्सीजन पहुंच गई थी, लेकिन इस दौरान 20 से 25 मिनट तक आपूर्ति बाधित रही। इसके चलते अस्पताल में पांच मौतें हुई हैं, जिसका उन्हें दुख है। वहीं, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामि बंसल ने बताया कि रोजाना डिमांड के हिसाब से अस्पताल को दो मिट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन और 200 से अधिक सिलिंडर सप्लाई हुए हैं। अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि वे 12 घंटे का बैकअप रखें। प्लांटों में लिक्विड ऑक्सीजन स्टॉक में नहीं है। मंगलवार सुबह जानकारी मिली कि ऑक्सीजन सिलिंडर भी पर्याप्त नहीं थे। ऐसे में यह गंभीर मामला है और इसकी जांच के लिए जिलाधिकारी से सिफारिश की गई है। 

अस्पताल प्रबंधन की ओर से ऑक्सीजन की कमी के बारे में सूचित किया गया था, लेकिन प्लांट से तकनीकी कारणों के चलते ऑक्सीजन पहुंचने में कुछ देरी हुई है। अस्पताल में बैकअप को कैसे बढ़ाया जाए, इस पर काम शुरू कर दिया गया है।
-पल्लवी गुप्ता, ऑक्सीजन की नोडल अधिकारी

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने रुड़की में एक निजी अस्पताल में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से रोगियों की मौत के मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने अमर उजाला को बताया कि मामला संज्ञान में आने के बाद उन्होंने हरिद्वार के जिलाधिकारी से मामले की पूरी जानकारी मांगी है। उन्होंने कहा कि जांच के बाद सही कारणों का पता चलेगा। इस मामले जिस स्तर पर लापरवाही सामने आएगी, उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। कतिपय अस्पतालों की मनमानी और दवाइयों की कालाबाजारी के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने सचिव स्वास्थ्य व प्रभारी सचिव स्वास्थ्य को इस संबंध में बात हुई है। उन्हें अस्पतालों पर निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं। 

अस्पताल समय से बताएं ऑक्सीजन की जरूरत
डीएम सी रविशंकर ने सभी कोविड अस्पतालों के प्रबंधकों और अधिकारियों से ऑनलाइन बैठक कर ऑक्सीजन आपूर्ति के बारे में चर्चा की। साथ ही निर्देश दिए कि अस्पताल समय से अपने यहां ऑक्सीजन की डिमांड बता दें ताकि आपूर्ति में कोई दिक्कत न आए और कोरोना मरीजों का जीवन सुरक्षित रहे।

मंगलवार को डीएम सी रविशंकर ने जिले के साथ ही रुड़की क्षेत्र के सभी कोविड अस्पतालों के प्रबंधकों और अधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक की। उन्होंने अस्पतालों के प्रबंधकों से ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर चर्चा की। बैठक में शामिल रहे रुड़की सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. संजय कंसल ने बताया कि डीएम ने कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति के विषय में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि इस समय कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अस्पतालों में मरीजों को बेड तक नहीं मिल पा रहे हैं। अधिकतर मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। 

कई मामले ऐसे सामने आ चुके हैं कि ऑक्सीजन की कमी के चलते लोग दम तोड़ रहे हैं। हालांकि, जिले में ऑक्सीजन की वर्तमान में कमी नहीं है। ऐसे में उन्होंने निर्देश दिए हैं कि सभी अस्पताल अपने यहां इस्तेमाल होने वाली ऑक्सीजन की मात्रा की जानकारी पोर्टल पर शाम चार बजे तक अपलोड कर दें ताकि समय रहते ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सके। डॉ. संजय कंसल ने बताया कि डीएम के निर्देशानुसार विभाग के पोर्टल पर ऑक्सीजन की जानकारी अपलोड कर दी गई है।

कोरोना महामारी में ऑक्सीजन के लिए मची अफरातफरी के बीच मंगलौर स्थित प्लांट में उत्पादन क्षमता बढ़ा दी गई है। यहां अब 24 घंटे में 700 की जगह 1000 ऑक्सीजन सिलिंडर तैयार किए जा रहे हैं। प्लांट के प्रबंध निदेशक का कहना है कि यदि प्रशासन उन्हें 20 टन का लिक्विड टैंक उपलब्ध कराता है तो यह क्षमता बढ़कर 2000 से 3000 के बीच पहुंच जाएगी।

मंगलौर-झबरेड़ा रोड स्थित गदरजुड्डा गांव के समीप स्थित कुमार इस्पात ऑक्सीजन प्लांट ने डिमांड को देखते हुए उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी कर दी है। इससे प्लांट में आने वाले लोगों को ऑक्सीजन आसानी से उपलब्ध हो रही है। वहीं, उत्पादन क्षमता बढ़ने से लोगों की भीड़ भी बढ़ने लगी है। कुमार इस्पात के प्रबंध निदेशक राकेश यादव ने बताया कि पहले वह 700 सिलिंडर 24 घंटे में तैयार करते थे, जबकि अब 1000 सिलिंडर तैयार किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि प्रशासन यदि 20 टन का लिक्विड टैंक उपलब्ध करा दे तो उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 2000 से 3000 सिलिंडर प्रति 24 घंटे हो जाएगी। इसके बाद हरिद्वार में किसी को ऑक्सीजन के लिए भटकना नहीं पड़ेगा और प्लांट में आसानी से ऑक्सीजन उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि प्लांट का मकसद लोगों की जान बचाना है। इसके लिए वह हर संभव प्रयास कर रहे हैं। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए और 20 टन का लिक्विड टैंक उपलब्ध कराया जाए। 

विस्तार

उत्तराखंड में हरिद्वार जिले के रुड़की के एक निजी अस्पताल में सोमवार देर रात करीब डेढ़ बजे ऑक्सीजन खत्म होने से पांच कोरोना संक्रमितों ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि प्रशासन को रात दस बजे ही फोन पर ऑक्सीजन की कमी की सूचना दे दी गई थी, जिसे गंभीरता से नहीं लिया गया। वहीं, प्रशासन के अनुसार, केवल मैसेज भेजकर लिक्विड ऑक्सीजन की मांग की गई थी जबकि सुबह पता चला कि अस्पताल के पास पर्याप्त ऑक्सीजन सिलिंडर भी नहीं थे। अस्पताल के पास पर्याप्त ऑक्सीजन बैकअप भी नहीं है। 

कोरोना से जूझती सांसे: औद्योगिक ऑक्सीजन खरीदने को मजबूर हुए तीमारदार, लेकिन इससे खतरे में पड़ सकती है जान

रुड़की के विनय विशाल हॉस्पिटल को कोविड सेंटर बनाया गया है। फिलहाल यहां 85 कोरोना संक्रमित भर्ती हैं। सोमवार देर रात अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने लगी थी। ऑक्सीजन आपूर्ति के प्रयास के बीच डेढ़ बजे ऑक्सीजन पूरी तरह खत्म हो गई। करीब बीस मिनट बाद जब तक ऑक्सीजन पहुंची और आपूर्ति सुचारु हुई, तब तक वेंटिलेटर पर लेटे एक मरीज और सिलिंडर से ऑक्सीजन ले रहे चार मरीजों की दर्दनाक मौत हो गई। अस्पताल संचालक विशाल घई ने बताया कि कई बार ऑक्सीजन ज्यादा खर्च होती है। सोमवार रात में ऑक्सीजन की दिक्कत आने की आशंका के चलते रात दस बजे ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामि बंसल को अवगत कराया गया था कि लिक्विड ऑक्सीजन खत्म हो रही है और ऑक्सीजन सिलिंडर से काम नहीं चल पाएगा।

इसकी जानकारी जिला नोडल अधिकारी पल्लवी गुप्ता को भी दी गई, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। किसी तरह रात में ही ऑक्सीजन पहुंच गई थी, लेकिन इस दौरान 20 से 25 मिनट तक आपूर्ति बाधित रही। इसके चलते अस्पताल में पांच मौतें हुई हैं, जिसका उन्हें दुख है। वहीं, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामि बंसल ने बताया कि रोजाना डिमांड के हिसाब से अस्पताल को दो मिट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन और 200 से अधिक सिलिंडर सप्लाई हुए हैं। अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि वे 12 घंटे का बैकअप रखें। प्लांटों में लिक्विड ऑक्सीजन स्टॉक में नहीं है। मंगलवार सुबह जानकारी मिली कि ऑक्सीजन सिलिंडर भी पर्याप्त नहीं थे। ऐसे में यह गंभीर मामला है और इसकी जांच के लिए जिलाधिकारी से सिफारिश की गई है। 

अस्पताल प्रबंधन की ओर से ऑक्सीजन की कमी के बारे में सूचित किया गया था, लेकिन प्लांट से तकनीकी कारणों के चलते ऑक्सीजन पहुंचने में कुछ देरी हुई है। अस्पताल में बैकअप को कैसे बढ़ाया जाए, इस पर काम शुरू कर दिया गया है।

-पल्लवी गुप्ता, ऑक्सीजन की नोडल अधिकारी


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