अब गेहूं की फसल को कहां लेकर जाएं सरकार

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सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों को बंद करने और कोविड कर्फ्यू के चलते आढ़त बाजार बंद होने से किसानों के सामने घरों में रखा गेहूं बेचने का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में किसान सरकार से सवाल कर रहे हैं कि वे अपने घरों में रखा गेहूं कहां लेकर जाएं। यदि यही स्थिति रही तो कई क्विंटल गेहूं घरों में ही सड़ जाएगा।
जिले में इस बार करीब 44 हजार हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की फसल उगाई गई थी। किसानों का गेहूं खरीदने के लिए सरकार ने क्रय केंद्र खोले थे। सरकार तीन सरकारी महकमों यूसीएफ, विपणन विभाग और एमसीएम के माध्यम से गेहूं की खरीद करवाती है। इस बार सबसे ज्यादा 19 केंद्र यूसीएफ ने खोल थे। विपणन विभाग ने आठ और एमसीएम ने तीन सेंटर खोले गए थे। एक अप्रैल से सभी केंद्रों पर गेहूं की खरीदारी शुरू कर दी थी। सरकार ने इस बार गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 प्रति क्विंटल और 20 रुपये बोनस तय किया था। इसी बीच 27 मई से जिले के सभी गेहूं क्रय केंद्र बंद कर दिए गए हैं। वहीं, कर्फ्यू के बीच आढ़त बाजार बंद पड़ा है। किसानों का कहना है कि हर साल जो किसान केंद्रों पर गेहूं बेचने से रह जाते थे, वे आढ़तियों को गेहूं बेच देते थे।
इस बार एक भी आढ़ती गांव में गेहूं खरीदने नहीं पहुंचा है। ऐसे में उनका गेहूं घर में ही रह गया है। क्षेत्र के किसानों का कहना है कि वर्तमान में हर गांव में सैकड़ों क्विंटल गेहूं बिना बिके रह गया है। उत्तराखंड किसान मोर्चा के अध्यक्ष गुलशन रोड़ ने डीएम सी रविशंकर को पत्र भेजकर गेहूं क्रय केंद्रों को कम से कम 31 मई तक खोले जाने की मांग की है। उनका कहना है कि बहुत से किसान ऐसे हैं, जिन्होंने पिछले कुछ दिनों में ही गेहूं की कटाई की थी। बीच में बारिश और अन्य कारणों से वे किसान क्रय केंद्रों तक नहीं पहुंच पाए। अब सरकार ने अचानक सेंटर बंद कर दिए हैं। ऐसे में उनके सामने संकट खड़ा हो गया है।

रजिस्ट्रेशन की बाध्यता भी बनी बाधा
उत्तराखंड किसान मोर्चा के अध्यक्ष गुलशन रोड़ का कहना है कि सरकार की रजिस्ट्रेशन के बाद ही गेहूं बेचने की बाध्यता से भी बहुत से किसान गेहूं बेचने से रह गए। बड़ी संख्या में ऐसे भी किसान हैं, जो रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाए। इसके अलावा केंद्रों पर इस बार एक दिन में मात्र 500 क्विंटल गेहूं खरीदने की शर्त के चलते भी किसानों को निराश लौटना पड़ा। किसान जब केंद्रों पर गेहूं लेकर पहुंचता है, तब उसे पता चलता है कि कितना गेहूं खरीदा जा चुका है। तय शर्त तक खरीद होने के बाद किसानों को सेंटरों से लौटा दिया गया।

सरकार ने मनमाने तरीके से गेहूं क्रय केंद्रों को बंद कर दिया है। केंद्र बंद करवाने से पहले प्रशासनिक अधिकारियों को भी धरातल पर उतरकर देखना चाहिए था कि कितने किसानों के पास गेहूं बेचना शेष रह गया है।
-गुलशन रोड़, राष्ट्रीय अध्यक्ष, उमिको

इस बार कोरोना महामारी के चलते किसान आढ़तियों के पास अपना गेहूं लेकर नहीं पहुंच पाया। उसके पास आखिरी विकल्प गेहूं क्रय केंद्र ही था, इसे भी सरकार ने समय से पहले बंद कर किसानों की समस्याएं बढ़ा दी हैं।
-पद्म रोडृ, प्रदेश उपाध्यक्ष, भाकियू

कोरोना के चलते किसान घर से निकलते हुए डर रहा था। गांव में कई ऐसे किसान हैं जिनके पास अपना साधन नहीं है। उन्हें केंद्र तक गेहूं पहुंचाने में दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। इस कारण भी किसान केंद्रों तक नहीं पहुंचे।
-महकार सिंह, जिलाध्यक्ष, उमिको

सरकार जब गन्ने का भाव यूपी को देखकर तय करती है तो क्रय केंद्र बंद करने से पहले भी यूपी की तरफ देखना चाहिए था। इस बार यूपी में सरकार ने गेहूं क्रय केंद्र 15 जून तक खोले जाने की घोषण की है।
-राकेश लोहान, जिला प्रवक्ता, भाकियू

क्रय केंद्र बंद होने से किसान परेशान
क्षेत्र में अनेक किसानों के घरों में पड़ा रह गया गेहूं
संवाद न्यूज एजेेंसी
लक्सर। शासन के आदेश पर गेहूं खरीद केंद्रों पर पंजीकरण बंद हो गया है। लिहाजा क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने का इंतजार कर रहे किसानों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है। अब किसानों को बाजार में कम दरों पर अपना गेहूं बेचना पड़ेगा।
लक्सर तहसील क्षेत्र में खोले गए क्रय केंद्रों को 25 मई तक रजिस्ट्रेशन करने के बाद 27 मई तक गेहूं की खरीदारी कर बंद कर दिया गया है। ऐसे में किसानों के सामने दिक्कतें खड़ी हो गई हैं। किसान सुरेश शर्मा और कालूराम चौधरी ने बताया कि सरकार ने निर्धारित समय पर क्रय केंद्रों को तो बंद कर दिया, लेकिन कई किसानों ने पंजीकरण नहीं कराया था। ऐसे में वह फसल बेचने से वंचित रह जाएंगे। किसान नीरज कुमार, उमेश चौधरी और शिव कुमार गर्ग ने बताया कि इस बार लॉकडाउन के चलते बाजार में गेहूं के रेट बेहद कम हैं। सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं का रेट 1995 रुपये निर्धारित किया गया है जबकि बाजार में कुछ आढ़ती 1600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीद रहे हैं। ऐसे में किसानों को भारी नुकसान होगा। किसान बाबूराम शर्मा और रजत ने कहा कि कुछ दिनों के लिए पंजीकरण की अवधि बढ़ानी चाहिए ताकि किसान गेहूं बेच सकें। उधर, लक्सर एसएमआई गोदाम प्रभारी कुलदीप सिंह ने बताया कि गेहूं क्रय केंद्रों पर उन्हीं किसानों का गेहूं खरीदा जा रहा है, जिन्होंने पहले पंजीकरण करा दिया था। जो किसान वापस आ रहे हैं, उन्हें पंजीकरण बंद होने की जानकारी दी जा रही है।

गेहूं की खरीद बंद होने से किसान परेशान
झबरेड़ा। इकबालपुर क्रय केंद्र पर बृहस्पतिवार से खरीद बंद होने से सैकड़ों किसानों का गेहूं घरों में पड़ा हुआ है। क्षेत्र के सुनेहटी, बेहड़की, मुलेवाला, देवपुर, खजूरी, माजरा, हिराहेड़ी, नगला भलस्वागाज आदि गांवों के किसान गेहूं बेचने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन बृहस्पतिवार को क्रय केंद्र पर गेहूं खरीद बंद कर दी गई। किसान अनिल कुमार, बिजेंद्र सिंह, ओम कुमार, पवन, संजय आदि ने बताया कि इकबालपुर क्षेत्र में अभी भी करीब 1700 क्विंटल गेहूं बिक्री के लिए किसानों के घरों में पड़ा है। उन्होेंने खरीद अवधि बढ़ाने की मांग एसडीएम से की है। संवाद

सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों को बंद करने और कोविड कर्फ्यू के चलते आढ़त बाजार बंद होने से किसानों के सामने घरों में रखा गेहूं बेचने का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में किसान सरकार से सवाल कर रहे हैं कि वे अपने घरों में रखा गेहूं कहां लेकर जाएं। यदि यही स्थिति रही तो कई क्विंटल गेहूं घरों में ही सड़ जाएगा।

जिले में इस बार करीब 44 हजार हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की फसल उगाई गई थी। किसानों का गेहूं खरीदने के लिए सरकार ने क्रय केंद्र खोले थे। सरकार तीन सरकारी महकमों यूसीएफ, विपणन विभाग और एमसीएम के माध्यम से गेहूं की खरीद करवाती है। इस बार सबसे ज्यादा 19 केंद्र यूसीएफ ने खोल थे। विपणन विभाग ने आठ और एमसीएम ने तीन सेंटर खोले गए थे। एक अप्रैल से सभी केंद्रों पर गेहूं की खरीदारी शुरू कर दी थी। सरकार ने इस बार गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 प्रति क्विंटल और 20 रुपये बोनस तय किया था। इसी बीच 27 मई से जिले के सभी गेहूं क्रय केंद्र बंद कर दिए गए हैं। वहीं, कर्फ्यू के बीच आढ़त बाजार बंद पड़ा है। किसानों का कहना है कि हर साल जो किसान केंद्रों पर गेहूं बेचने से रह जाते थे, वे आढ़तियों को गेहूं बेच देते थे।

इस बार एक भी आढ़ती गांव में गेहूं खरीदने नहीं पहुंचा है। ऐसे में उनका गेहूं घर में ही रह गया है। क्षेत्र के किसानों का कहना है कि वर्तमान में हर गांव में सैकड़ों क्विंटल गेहूं बिना बिके रह गया है। उत्तराखंड किसान मोर्चा के अध्यक्ष गुलशन रोड़ ने डीएम सी रविशंकर को पत्र भेजकर गेहूं क्रय केंद्रों को कम से कम 31 मई तक खोले जाने की मांग की है। उनका कहना है कि बहुत से किसान ऐसे हैं, जिन्होंने पिछले कुछ दिनों में ही गेहूं की कटाई की थी। बीच में बारिश और अन्य कारणों से वे किसान क्रय केंद्रों तक नहीं पहुंच पाए। अब सरकार ने अचानक सेंटर बंद कर दिए हैं। ऐसे में उनके सामने संकट खड़ा हो गया है।



रजिस्ट्रेशन की बाध्यता भी बनी बाधा

उत्तराखंड किसान मोर्चा के अध्यक्ष गुलशन रोड़ का कहना है कि सरकार की रजिस्ट्रेशन के बाद ही गेहूं बेचने की बाध्यता से भी बहुत से किसान गेहूं बेचने से रह गए। बड़ी संख्या में ऐसे भी किसान हैं, जो रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाए। इसके अलावा केंद्रों पर इस बार एक दिन में मात्र 500 क्विंटल गेहूं खरीदने की शर्त के चलते भी किसानों को निराश लौटना पड़ा। किसान जब केंद्रों पर गेहूं लेकर पहुंचता है, तब उसे पता चलता है कि कितना गेहूं खरीदा जा चुका है। तय शर्त तक खरीद होने के बाद किसानों को सेंटरों से लौटा दिया गया।



सरकार ने मनमाने तरीके से गेहूं क्रय केंद्रों को बंद कर दिया है। केंद्र बंद करवाने से पहले प्रशासनिक अधिकारियों को भी धरातल पर उतरकर देखना चाहिए था कि कितने किसानों के पास गेहूं बेचना शेष रह गया है।

-गुलशन रोड़, राष्ट्रीय अध्यक्ष, उमिको



इस बार कोरोना महामारी के चलते किसान आढ़तियों के पास अपना गेहूं लेकर नहीं पहुंच पाया। उसके पास आखिरी विकल्प गेहूं क्रय केंद्र ही था, इसे भी सरकार ने समय से पहले बंद कर किसानों की समस्याएं बढ़ा दी हैं।

-पद्म रोडृ, प्रदेश उपाध्यक्ष, भाकियू



कोरोना के चलते किसान घर से निकलते हुए डर रहा था। गांव में कई ऐसे किसान हैं जिनके पास अपना साधन नहीं है। उन्हें केंद्र तक गेहूं पहुंचाने में दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। इस कारण भी किसान केंद्रों तक नहीं पहुंचे।

-महकार सिंह, जिलाध्यक्ष, उमिको



सरकार जब गन्ने का भाव यूपी को देखकर तय करती है तो क्रय केंद्र बंद करने से पहले भी यूपी की तरफ देखना चाहिए था। इस बार यूपी में सरकार ने गेहूं क्रय केंद्र 15 जून तक खोले जाने की घोषण की है।

-राकेश लोहान, जिला प्रवक्ता, भाकियू



क्रय केंद्र बंद होने से किसान परेशान

क्षेत्र में अनेक किसानों के घरों में पड़ा रह गया गेहूं

संवाद न्यूज एजेेंसी

लक्सर। शासन के आदेश पर गेहूं खरीद केंद्रों पर पंजीकरण बंद हो गया है। लिहाजा क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने का इंतजार कर रहे किसानों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है। अब किसानों को बाजार में कम दरों पर अपना गेहूं बेचना पड़ेगा।

लक्सर तहसील क्षेत्र में खोले गए क्रय केंद्रों को 25 मई तक रजिस्ट्रेशन करने के बाद 27 मई तक गेहूं की खरीदारी कर बंद कर दिया गया है। ऐसे में किसानों के सामने दिक्कतें खड़ी हो गई हैं। किसान सुरेश शर्मा और कालूराम चौधरी ने बताया कि सरकार ने निर्धारित समय पर क्रय केंद्रों को तो बंद कर दिया, लेकिन कई किसानों ने पंजीकरण नहीं कराया था। ऐसे में वह फसल बेचने से वंचित रह जाएंगे। किसान नीरज कुमार, उमेश चौधरी और शिव कुमार गर्ग ने बताया कि इस बार लॉकडाउन के चलते बाजार में गेहूं के रेट बेहद कम हैं। सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं का रेट 1995 रुपये निर्धारित किया गया है जबकि बाजार में कुछ आढ़ती 1600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीद रहे हैं। ऐसे में किसानों को भारी नुकसान होगा। किसान बाबूराम शर्मा और रजत ने कहा कि कुछ दिनों के लिए पंजीकरण की अवधि बढ़ानी चाहिए ताकि किसान गेहूं बेच सकें। उधर, लक्सर एसएमआई गोदाम प्रभारी कुलदीप सिंह ने बताया कि गेहूं क्रय केंद्रों पर उन्हीं किसानों का गेहूं खरीदा जा रहा है, जिन्होंने पहले पंजीकरण करा दिया था। जो किसान वापस आ रहे हैं, उन्हें पंजीकरण बंद होने की जानकारी दी जा रही है।



गेहूं की खरीद बंद होने से किसान परेशान

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